Home Daily News क्या इंदौर के कब्रिस्तानों में जो हो रहा है, वो सरकार को दिखा नहीं या आपको दिखाया नहीं?

क्या इंदौर के कब्रिस्तानों में जो हो रहा है, वो सरकार को दिखा नहीं या आपको दिखाया नहीं?

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क्या इंदौर के कब्रिस्तानों में जो हो रहा है, वो सरकार को दिखा नहीं या आपको दिखाया नहीं?
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इंदौर में पिछले एक हफ्ते में मुस्लिमों के कब्रगाह पर आने वाले शवों में औचक बढ़ौतरी देखने को मिली है। जानकारी के अनुसार, इंदौर में मुस्लिमों के 4 कब्रिस्तान हैं जिनमें 1 से 6 तारीख के बीच में 127 लोगों के शवों को दफनाया गया और 7 वें दिन तक ये आँकड़ा 145 पहुँच गया। जबकि पुरानी डेटा को देखें तो मालूम पड़ता है कि पूरे मार्च में इन 4 कब्रिस्तान में सिर्फ़ 130 लोगों के शव आए।

यहां तक कि एक दिन में ही 18 जनाजे सिर्फ उन्हीं चार कब्रिस्तान में पहुँचे जो क्वारंटाइन एरिया के लिए ही हैं। इसलिए प्रशासन के लिए ये खुलासा एक चिंता का विषय है। हालाँकि, कब्रिस्तान में बनाए गए रजिस्टर में इन लोगों के मौत का कारण ब्लडप्रेशर, डायबिटीज़, आदि का उल्लेख किया गया। मगर, यदि मार्च के आँकड़ों के साथ इनकी तुलना करें तो ये काफी खतरनाक है।

रिपोर्ट के अनुसार, खजराना, चंदनगर, रानीपुर-दौलतगंज-हाथीपाला, आज़ादनगर, टाटपट्टी बाखल-सिलावटपुरा और बॉम्बे बाज़ार क्षेत्रों में कोरोनोवायरस पॉजिटिव के सबसे ज्यादा मामले पाए गए। इसके बाद इन क्षेत्रों के चार प्रमुख मुस्लिम कब्रिस्तानों में अप्रैल के पहले सप्ताह में दफनाए गए शवों की संख्या की पड़ताल की।

रिपोर्ट् के मुताबिक महू नाका मुस्लिम कब्रिस्तान में मार्च माह में 46 शवों को दफनाया गया था, जबकि अप्रैल में ये आँकड़ा केवल 6 दिन में (1-6 अप्रैल) 42 था। इसी तरह टाटपट्टी बाखल और आसपास के इलाकों के लिए मुस्लिम कब्रिस्तान में मार्च में दफन किए गए शवों की संख्या 36 थी और अप्रैल के 6 दिनों में ये संख्या 44 है। अन्य दो मुस्लिम कब्रिस्तानों में भी मार्च माह में 20 और 28 शव दफन किए गए। लेकिन, अप्रैल के 6 दिनों में यहाँ 20 और 21 शव दफन किए गए।

बता दें, एक ओर जहाँ मुस्लिम कब्रगाह में शवों के दफनाए जाने की सूचना इस तरह अचानक बढ़ी है। वहीं श्मशान घाटों में हिंदुओं के दाह संस्कार करने की संख्या पहले जैसी है। ऐसे चौंकाने वाले नंबर सामने आने के बाद खुफिया एजेंसियों ने अब इसकी जाँच शुरू कर दी है। साथ ही इन आँकड़ों पर रिपोर्ट माँगी है।

यह भी पता चला है कि मृतकों के मामले में, उनके यात्रा के इतिहास और कोरोना लक्षण दिखने के बावजूद उनके नमूने नहीं लिए गए। जैसे, इस बीच ट्रेवल हिस्ट्री का इतिहास रखने वाले 42 वर्षीय नावेद की मृत्यु हुई। मगर, उनका न तो परीक्षण हुआ और न इलाज हुआ।

इसके बाद नावेद के 48 वर्षीय चचेरे भाई इरफान को 26 मार्च को साँस लेने की समस्या हुई। जिसे सीएचएल अस्पताल में भर्ती कराया गया। अगले दिन हालत गंभीर होने के कारण उन्हें गोकुलदास अस्पताल में भर्ती करवाया लेकिन अगले दिन उनकी मृत्यु हो गई। बाद में इरफान की टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव आई और उनके भाई ने कहा कि इरफान तो दहशत में ही चले गए।

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