
मेडिकल कालेज के हास्टल की एक साल की फीस 21 लाख?
आप लोग बीजेपी बनाम कांग्रेस की लड़ाई में ही रहते हैं। ज़रा बताइये कि इनमें से किसी की सरकार आने पर क्या बदल जाएगा? क्या पुलिस ठीक हो जाएगी, क्या अदालतों का रवैया बदल जाएगा? एक छात्र ने जो लिखा है मैं उसकी जगह आप सभी को रखता हूं। जो कांग्रेस के समर्थक हैं, सपा बसपा के समर्थक हैं और जो बीजेपी संघ के हैं। वे ईमानदारी से बताएं कि इस तरह की लूट को रोकने की हिम्मत किसी में है? भारत भर में प्राइवेट कालेजों के ज़रिए लूटने वाला एक ऐसा गिरोह पैदा हुआ है, जो हर पार्टी के नेताओं का फंडर है और खुद भी नेता है हर पार्टी में।
पश्चिम उत्तर प्रदेश से एक छात्र ने लिखा है कि यहां के दो प्राइवेट मेडिकल कालेज में MD/MS के छात्रों के लिए हॉस्टल फीस 21 लाख रुपए हैं। ट्यूशन फीस अलग से है जो 12 लाख 48 हज़ार है। बताइये ट्यूशन फीस 12 लाख और हास्टल फीस 21 लाख? इस लूट को कौन बंद करा सकता है और यह लूट किन सरकारों की देन है? इसलिए नागरिक बने रहिए, इस पार्टी, उस पार्टी का सपोर्टर बनकर खुद को लंपट मत बनाइये। सोचिए ये डाक्टर डाकू नहीं बनेंगे तो क्या बनेंगे। इनसे पढ़ाई के लिए पश्चिम यूपी के कालेज में हास्टल का ख़र्चा 21 लाख लिया जाएगा तो ये क्या करेंगे। इन कालेजों को कोई जानता नहीं होगा। औसत कालेज है। इतने में तो आक्सफोर्ड कैंब्रिज से पढ़ कर कोई चला आएगा। हास्टल फीस 21 लाख? जबकि पिछले साल 2 लाख था। ट्यूशन फीस भी साढ़े बारह लाख? ये किस हिसाब से बढ़ा भाई…कालेज का नाम नहीं दे रहा। छात्र ने रसीद दी है वैसे।
भारत के युवाओं की राजनीतिक समझ थर्ड क्लास नहीं होती तो वे कांग्रेस बीजेपी के बीच फुटबाल नहीं बनते। आप बताइये कि क्या इनके नेताओं को यह खेल नहीं मालूम होगा। मगर नौजवान इनका झंडा भी ढो रहे हैं और रो गा कर 12 लाख, 20 लाख फीस भी दे रहे हैं। ये सब पढ़ कर शाम ख़राब हो जाती है। पता नहीं ये नौजवान कैसे झेलते होंगे ये सब तनाव। ऊपर से लिखने पर जवाब आएगा कि अरे सर, महाराष्ट्र के मेडिकल कालेजों में तो छात्र आराम से 40-40 लाख फीस दे रहे हैं। एक ही छात्र ने लिखा, बाकियों ने तो नहीं बोला कि एक साल की फीस 21 लाख है?
आपको पता ही होगा कि महाराष्ट्र में प्राइवेट कालेज किन नेताओं के होंगे। दे ही रहे हैं छात्र। होगा कहीं का पैसा। आप घर बैठे करते रहिए कांग्रेस बीजेपी। इन दोनों का यही काम है। एक से नाराज़गी का लाभ उठाकर दूसरी आती है और दूसरी से नाराज़गी का लाभ उठाकर पहली। बीच में नागरिक घंटी की तरह बज रहा होता है। आपकी किस्मत में इनबाक्स ही रह गया है। सामने से आकर बोलेंगे तो दोनों टांग देंगे। जब शिक्षा के निजीकरण पर बहस होती है तो एक नौजवान नहीं मिलता है जो ध्यान से सुन भी ले।
एक नौजवान दिल्ली से जयनगर जाने वाली स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस में है। आज रात साढ़े आठ बजे चलने वाली थी। सूचना हुई है कि सुबह चार बजे चलेगी। आठ घंटे देरी से चलेगी। रेल मंत्री जी देख लीजिए।
मेरा इनबाक्स भरा हुआ है, अस्पताल के महंगे ख़र्चे से कराहते लोगों से। कलेजा फट जाता है। नहीं लगता कि ये सब कभी ठीक होगा। मैंने तो नहीं सुना कि कांग्रेसी और भाजपाई अस्पतालों और ख़र्चे को लेकर कभी बहस भी करते हैं। बीजेपी की जगह कांग्रेस आएगी, कांग्रेस की जगह बीजेपी आएगी। किस किस को एम्स में भर्ती करवा दें। हम स्वास्थ्य मंत्री थोड़े न हैं। उन पर भी दबाव रहता ही होगा मगर अस्पताल कोई नहीं बनवा रहा है। दो साल में प्राइवेट अस्पताल बनकर चालू हो जाता है और यहां पांच पाच साल सरकार रहती है, कुछ नहीं होता। तो आप देखेंगे न, जिन दलों के लिए आप झंडा उठाएं हैं, वहां आपकी आवाज़ है या नहीं। किस लिए इनका झंडा उठाते हैं आप, इसलिए कि ये आपको बीमारी के वक्त बिकवा दें, पढ़ाई के वक्त बिकवा दें।